बुद्ध पूर्णिमा पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, गरीबों को दान कर पुण्य कमाया, घाटों पर रही कड़ी सुरक्षा

ऋषिकेश। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने जरूरतमंदों और भिक्षुओं को दान कर पुण्य कमाया। सोमवार को बुद्ध पूर्णिमा पर गंगा में स्नान के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी थी। ऋषिकेश के प्रसिद्ध त्रिवेणी घाट, दत्तात्रेय घाट, नाव घाट, बहत्तर सीढ़ी, साईं घाट सहित मुनिकीरेती के नाव घाट, शत्रुघन घाट व स्वर्गाश्रम व लक्ष्मणझूला के विभिन्न घाटों पर सुबह से ही गंगा स्नान के लिए श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। दिन भर गंगा घाटों पर स्नान का सिलसिला जारी रहा। श्रद्धालुओं ने पूर्णिमा स्नान के साथ गरीबों को दान कर पुण्य कमाया।
तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने बताया कि इस त्योहार का महत्व हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों में ही है। वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के नौवें अवतार गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था।
गंगा घाटों पर कड़ी सुरक्षा रही:
व्यवस्था बुद्ध पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए घाटों में भारी भीड़ उमड़ी। जिसको देखते हुए तमाम गंगा घाटों पर पुलिस ने भी जल पुलिस व सुरक्षा के पुख्ता व्यवस्थाएं बनाए रखी। जगह जगह घाटों पर जल पुलिस के जवान तैनात रहे। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए पुलिस जवानों ने संदिग्धों पर नजर बनाए रखी। श्रद्धालुओं को शांति, सत्य और अहिंसा की प्रेरणा दी: परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि बुद्धत्व हम सभी के भीतर है, बस हमें आंतरिक यात्रा की ओर लौटना होगा। बुद्धत्व कोई बाहर से प्राप्त वस्तु नहीं है, वह हमारे भीतर ही विद्यमान है। जैसे कमल कीचड़ में खिलता है, वैसे ही भीतर की अशांति, अज्ञान और दुख के बीच भी प्रकाश की किरण मौजूद है। आवश्यकता है उस ज्योति को पहचानने, जागृत करने और जीवन में उतारने की। इस दौरान उन्होंने श्रद्धालुओं को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने का आह्वान किया गया।