आयुर्वेद चिकित्सा ने बदल दी एलोपैथिक चिकित्सक की जिंदगी

हल्द्वानी:- चिकित्सा के क्षेत्र में आयुर्वेद का अपना विशेष महत्व रहा है। ऐसे ही एक नेत्र रोग से संबंधित चिकित्सा के मामले में आयुर्वेद ने अपनी प्रभावशीलता को एक बार फिर साबित कर दिया है।

मुखानी स्थित विश्वप्रांगण आयुर्वेदिक एवं पंचकर्म चिकित्सालय के नाड़ी वैद्य डॉक्टर राहुल गुप्ता ने बताया कि डॉ. अमरजीत सिंह साहनी जो कि काशीपुर, उत्तराखंड में चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, पिछले दो वर्षों से नेत्र की समस्या से ग्रसित थे। उनकी पलकें बार-बार हर समय फड़फड़ाती थीं, जिससे उन्हें अपने दैनिक कार्यों में परेशानी होने लगी। एक मेडिकल ऑफिसर होने के नाते, डॉ. साहनी को अपने रोगियों और अधिकारियों से बात करनी पड़ती थी, लेकिन उनकी नेत्र समस्या ने उनके लिए यह काम मुश्किल बना दिया था। डॉ. साहनी ने अपने नेत्र समस्या के लिए अनेक नेत्र विशेषज्ञों से परामर्श लिया किंतु उन्हें सफलता नहीं मिली। इसी क्रम में उन्होंने चेन्नई के एक बड़े नेत्र चिकित्सालय में इलाज करवाया, छह महीने “ड्राई आइज़” नाम देकर प्रयास किए गए लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद, उन्होंने गुरुग्राम स्थित देश के सबसे प्रतिष्ठित अस्पताल में इलाज करवाया, जहां उनका निदान “बलेफ़ैरोस्पाज़म” नामक बीमारी किया गया जो की लाखों लोगों में से किसी एक को होती है। बहरहाल इलाज शुरू हुआ और आँखों में समय-समय पर बोटॉक्स के इंजेक्शन लगने शुरू हुए, लेकिन वहां भी उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ।
सभी जगह इलाज करने के पश्चात असफलता के कारण अंत में डॉ. साहनी ने आयुर्वेद का रुख किया। उन्होंने हल्द्वानी के श्री: विश्व प्रांगण आयुर्वेद चिकित्सालय में नाड़ी वैद्य राहुल गुप्ता से इलाज करवाने का फैसला लिया। वैद्य गुप्ता ने डॉ. साहनी का आयुर्वेदिक नाड़ी परीक्षण किया और उनकी बीमारी का निदान “निमेष रोग” ठहराया। उन्होंने बताया कि डॉ. साहनी की बीमारी का मुख्य कारण वात दोष का नेत्र वाही सिराओं में जाना होता है जो कि क्षमता से अधिक वार्तालाप करने वाले लोगों में देखने को मिलता है। क्योंकि डॉ. साहनी को अपने कार्य में लगातार रोगियों से वार्तालाप करनी पड़ती थी इस कारण वो इस रोग से ग्रसित हुए। कारण और बीमारी समझा कर इलाज शुरू किया गया। अचूक निदान होने की वजह से इलाज और परहेज के साथ, डॉ. साहनी को पहले ही महीने से लाभ मिलना शुरू हुआ। वैद्य गुप्ता ने डॉ. साहनी को आयुर्वेदिक दवाएं तथा पंचकर्म चिकित्सा जैसे शिरो बस्ती, नस्य इत्यादि के अलावा उन्हें अपने आहार और जीवनशैली में बदलाव करने की सलाह दी। छह महीने के आयुर्वेदिक इलाज के बाद, अब डॉ. साहनी की नेत्र समस्या पूरी तरह से ठीक हो गई और वे अपने दैनिक कार्यों को बिना किसी परेशानी के करने में सक्षम हो गए है। डॉ. साहनी ने आयुर्वेद की प्रशंसा करते हुए कहा कि आयुर्वेद और नाड़ी वैद्य राहुल गुप्ता ने उनकी जिंदगी बदल दी। आभार स्वरूप डॉ. साहनी ने अपना एक वीडियो फ़ीड्बैक भी वैद्य राहुल गुप्ता जी के साथ साझा किया है। डॉ. साहनी के इस अनुभव ने पुनः एक बार फिर गम्भीर नेत्र रोगों से ग्रसित लोगों के मन में आशा की नई किरण जगा दी है।