लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में आवारा गौवंशीय पशु बन रहे दुर्घटनाओं का कारण, प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत

लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में आवारा गौवंशीय पशुओं की बढ़ती संख्या क्षेत्र वासियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। सड़कों और मुख्य चौराहों पर घूमते बेसहारा बैलों के कारण सड़क दुर्घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। खास बात यह है कि इन बैलों के कानों में पशुपालन विभाग के टैग लगे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इन्हें अन्य क्षेत्रों से लाकर यहां छोड़ा गया है। क्षेत्रवासियों का आरोप है कि हल्द्वानी नगर निगम और अन्य विधानसभाओं से इन गौवंशों को जानबूझकर लालकुआं क्षेत्र में छोड़ा जा रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में आवारा गौवंश के कारण लालकुआं और आसपास के इलाकों में कई जानलेवा दुर्घटनाएं हुई हैं

>मनोज जोशी, शास्त्री नगर निवासी, दो छोटे बच्चों को पीछे छोड़ गए जब उनकी मृत्यु सांड से टकराने के कारण हुई।
> धारचूला के योगेश (25) की मौत सांड के हमले से हुई, जिसमें सांड की सींग उनके पेट के आर-पार हो गई।
> गोरापड़ाव निवासी कुंदन सिंह बिष्ट और वन आरक्षी कैलाश भाकुनी जैसे कई लोग बेसहारा पशुओं के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता पीयूष जोशी ने इस गंभीर मुद्दे पर प्रशासन से कहा है कि लालकुआं, हल्दूचौड़, मोतीनगर और बिंदुखत्ता जैसे क्षेत्रों में इन पशुओं की बढ़ती संख्या से दुर्घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। उन्होंने बताया कि क्षेत्र की दो प्रमुख गौशालाओं में स्थानीय गौवंशों को जगह दी जानी चाहिए बजाय इसके बाहरी गौवंश लगातार शहर में छोड़े जा रहे है । यह स्थिति क्षेत्रवासियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार को उजागर करती है।
पीयूष जोशी ने एसडीएम लालकुआं को इस मुद्दे की सूचना दी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो क्षेत्र के जागरूक नागरिक कुमाऊं आयुक्त से मुलाकात करेंगे। अगर फिर भी प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो मामला न्यायालय में ले जाया जाएगा।
क्षेत्रवासियों का कहना है कि सरकार और प्रशासन की लापरवाही के चलते अब तक 30 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
लालकुआं क्षेत्रवासी मुख्यमंत्री और उच्च अधिकारियों से अपील कर रहे हैं कि वे इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान दें। साथ ही, आवारा गौवंशीय पशुओं की पहचान कर उन्हें उचित स्थान पर भेजा जाए ताकि क्षेत्र में दुर्घटनाओं पर रोक लगाई जा सके और नागरिकों को राहत मिल सके।