अरबो रुपए खर्च होने के बावजूद टनकपुर पिथौरागढ़ राजमार्ग का कोई स्थाई समाधान नहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है इस मार्ग का ठीक होना


चंपावत:- टनकपुर से पिथौरागढ़ तक राजमार्ग को बनाने में अरबो रूपया खर्च होने के बावजूद लोगों को सुखद यातायात की सुविधा न मिलना और थोड़ी सी बरसात में वाहनों की रफ्तार रुक जाना एक सामान्य सी बात हो गई है। यह सड़क मार्ग न केवल चंपावत, पिथौरागढ़ जिले को जोड़ने और सीमांत एवं सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण भी है।

स्वाला डेंजर जोन के कारण वाहनों की आवाजाही थम जाना, तब से हो रहा है जब सड़क बंद होने की स्थिति में जिलाधिकारी मनीष कुमार आधी रात में भी साइड में पहुंचकर युद्ध स्तर पर कार्य कराने के लिए स्पॉट में पहुंच जाते है। जिससे लोगों को जल्दी यातायात सुविधा मिल सके। हालांकि डीएम के बार बार स्पॉट में पहुंचने से राष्टीय राजमार्ग के अधिकारी एलर्ट मोड में तो रहते है लेकिन उनके पास इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। सामान्य मौसम में इस स्थान की पहाड़ी में किया गया ट्रीटमेंट का कार्य एक ही झटके में नीचे आकर रोड को भी ले गया। जबकि जानकारों का कहना था कि बगैर ऊपर की पहाड़ी से मलवा हटाए यहां ट्रीटमेंट का कार्य व्यावहारिक नहीं होगा। लेकिन अब विभागीय अधिकारी करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद उसी मुकाम में पहुंच रहे हैं, जहां जानकार पहले ही अपनी शंका जाहिर कर चुके हैं। इससे न तो लोगों को कोई राहत ही मिली और न ही समस्या का समाधान ही हो पाया। ऐसी स्थिति में यह जांच का भी विषय बनता जा रहा है कि क्यों और किन परिस्थितियों में यह सब कुछ हो रहा है और कब तक चंपावत व पिथौरागढ़ जिले के लोग त्रासदी के चलते परेशानियों का सामना करते रहेंगे।