उत्तराखण्डदेहरादून

एम्स ऋषिकेश ने नई तकनीक विकसित की, अब बिना चीर फाड़ के हो सकेगा मृतक के शव का पोस्टमार्टम

ऋषिकेश:- एम्स ऋषिकेश ने अब ऐसी नई तकनीक विकसित की है जिसमें अब मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए चीरना जरूरी नहीं होगा और बिना चीर-फाड़ के शव का पोस्टमार्टम संभव हो सकेगा। इस तकनीक को “मिनिमली इनवेसिव ऑटोप्सी” नाम दिया गया है।

Ad

सीटी स्कैन, लेप्रोस्कोपी और एंडोस्कोपी के सम्मिलित उपयोग से यह प्रक्रिया पारंपरिक पोस्टमार्टम की तुलना में अधिक सटीक, संवेदनशील और मानवता से जुड़ी मानी जा रही है।

भावनाओं का होगा सम्मान, विज्ञान का नया प्रयोग

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड सरकार ने बच्चों के दाखिले के लिए आयु सीमा में किया बदलाव, कक्षा एक में दाखिले के लिए 1 जुलाई को बच्चे की उम्र 6 वर्ष

परंपरागत पोस्टमार्टम में शव को गले से पेट तक और सिर के हिस्से तक चीरना पड़ता है। इससे परिजनों की भावनाएं आहत होती हैं, और कई बार वे पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर देते हैं।
एम्स ऋषिकेश के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ डॉ. आशीष बताते हैं कि लंबे समय से यह प्रयास चल रहा था कि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को कम से कम इनवेसिव बनाया जाए।

इस नई पद्धति में पहले शव का सीटी स्कैन किया जाता है। इसके बाद आवश्यकतानुसार लेप्रोस्कोपी और एंडोस्कोपी के माध्यम से विसरा संग्रह, बायोप्सी और आंतरिक अंगों की सूक्ष्म जांच की जाती है। इससे पारंपरिक चीर-फाड़ की आवश्यकता नहीं पड़ती।

यह भी पढ़ें 👉  खुद को सीबीआई का अधिकारी और जज बताकर सेवानिवृत्त सीनियर ड्राफ्टमैन से की 40 लाख की ठगी, तीन दिन तक पति-पत्नी को वीडियो कॉल कर डराते रहे

इस तकनीक को विकसित करने में विभागाध्यक्ष डॉ. बिनय बस्तियां और संस्थान की निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह की विशेष भूमिका रही।

डॉ. आशीष के अनुसार, विश्व स्तर पर कुछ संस्थानों में केवल सीटी स्कैन आधारित पोस्टमार्टम की कोशिशें हुई हैं, लेकिन वे पूरी तरह कारगर नहीं रहीं। एम्स ऋषिकेश की यह पहल अब न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सफल, बल्कि सांस्कृतिक और मानवीय संवेदनाओं के अनुरूप भी है।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

Anand Batra

Editor-in-Chief - Hills News (www.hillsnews.in)

यह भी पढ़ें 👉