उत्तराखण्डनैनीताल

बदलती जीवन शैली और अनियमित खानपान से बढ़ रही हृदय रोगियों की संख्या, विश्व हृदय दिवस के अवसर पर वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ प्रकाश पंत ने पत्रकार वार्ता कर बताए हृदय रोगों से बचाव के उपाय

हल्द्वानी:- हर वर्ष 29 सितंबर विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को हृदय रोगों के प्रति जागरूक करना है। आजकल की बदलती जीवनशैली और खानपान से हृदय रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है जो चिंता का विषय है। उच्च रक्तचाप, शुगर आदि भी हृदय रोगों के मुख्य कारण हैं।
इस संबंध में विश्व हृदय दिवस की पूर्व संध्या पर  जगदम्बा हार्ट केयर एवं मैटरनिटी सेंटर के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश पंत से पत्रकार वार्ता में खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि बीते जमाने में हृदय रोग वृद्धावस्था का रोग कहलाता था। लेकिन आज भागदौड़ भरे जीवन में 30 से 45 वर्ष के लोग भी हृदय रोगों से ग्रसित हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण मानसिक तनाव एवं अनियमित खानपान है। जिसके कारण व्यक्ति उच्च रक्तचाप एवं शुगर जैसी बीमारियों की चपेट में आ जाता है, जो कि आगे चलकर हृदय रोग का मुख्य कारण बनता है।
इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि भारत की जनसंख्या की 30 से 40 प्रतिशत की आबादी उच्च रक्तचाप, शुगर, कोलेस्ट्रॉल, मोटापा जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं। जिसके कारण लोग हृदय रोग की चपेट में आ रहे हैं। डॉ. पंत ने बताया कि उच्च रक्तचाप, शुगर एवं सीने के दर्द अत्यधिक तनाव को हल्के में न लें एवं कुशल हृदय रोग विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही उपचार कराएं, ताकि आने वाली परेशानी से बचा जा सके।

हृदय रोगों से कैसे करें बचाव:-

अत्यधिक तनाव लेने की आदत न डालें।
अत्यधिक धूम्रपान, तंबाकू एवं शराब के सेवन से बचें।
ब्लड प्रेशर, शुगर की नियमित जांच कराएं।
फास्ट फूड जंक फूड का सेवन कम से कम करें।
नियमित व्यायाम एवं योग की आदत डालें।
तली भुनी चीजों का सेवन कम करें।
समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल ब्लड प्रेशर एवं शुगर की जांच कराएं।
अत्यधिक तनाव, उच्च रक्तचाप होने पर कुशल हृदय रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।

जीवन रक्षक तकनीक सीपीआर प्रक्रिया अपनाएं:-

सीपीआर एक जीवन रक्षक तकनीक है जिसका उपयोग उसे स्थिति में किया जाता है जब हृदय धड़कन और श्वसन रुक जाते हैं इस दिल का दौरा या अन्य किसी आपातकालीन स्थिति में प्रयोग किया जाता है सीपीआर का मुख्य उद्देश्य शरीर में रक्त संचार और ऑक्सीजन की आपूर्ति बनाए रखना है जिससे मस्तिष्क और उन अंगों को स्थाई छति से बचाया जा सके रोगी को कठोर और सपाट सतह पर लिटाएं और छाती के बीचों-बीच दोनों हाथों की हथेलियां को एक दूसरे के ऊपर रखें यह सुनिश्चित करें कंप्रेशन की गति प्रति मिनट 100 से 120 बार होनी चाहिए एवं हर 30 कंप्रेशन के बाद रोगी के मुंह में दो बार सांस दें, सांस देते समय रोगी की नाक को बंद कर दें और धीरे-धीरे सांस भरें यह प्रक्रिया तब तक जारी रखें जब तक पेशेवर चिकित्सा सहायता न पहुंच जाए।

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इस अवसर पर वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ प्रकाश पंत के अलावा स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सोमा पंत, मैनेजर गिरीश सुयाल, यमुना दत्त जोशी, हेमा, रचना परगाई खषटी जोशी, गुंजन, भावना, ममता, अनीता, हेमलता आदि लोग मौजूद रहे।

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Anand Batra

Editor-in-Chief - Hills News (www.hillsnews.in)

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